दोस्तों आपका मन पढ़ाई में नहीं लगता। फिर भी आप पढ़ना चाहते हो। आप अपने सपनों को पूरा करना चाहते हो तो इस कहानी के माध्यम से हम जानेंगे कि पढ़ाई में मन कैसे लगाए जाए, कैसे पढ़ाई की जाए, कितनी पढ़ाई की जाए, पढ़ाई में मन कैसे लगाएं, कितने घंटे पढ़ा जाए , पढ़ाई करने का सही तरीका।

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Padhaai mein man kaise lagaen।

हेलो दोस्तों कैसे हो आप सब मेरा नाम है समीर और आप पढ़ना शुरू कर चुके हो मेरी कहानी-samstorieshindi

पढ़ाई में मन कैसे लगाएं?

दोस्तों आज मैं आपको एक बहुत ही जरूरी बात बताने जा रहा हूं तो आप इस कहानी को ध्यान से पढ़ना। ताकि आप सच में पढ़ सके, मन से काम कर सके। पढ़ाई को सीरियस ले सके और अपने सपनों को पूरा कर सकें।

Logic ko samajhte Hain।

दोस्तों आपने कभी ना कभी तो नोटिस जरूर किया होगा कि जब भी आप मोबाइल यूज करते हो, बाहर घूमने जाते हो, फिल्म देखते हो, सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हो या रात भर किसी से बात करने के लिए किसी भी मोटिवेशन की जरूरत नहीं होती। आपका इन सब चीजों में मन लगता है। इन सब चीजों को करने के लिए आपको किसी भी मोटिवेशन की जरूरत नहीं पड़ती हैं। और ना ही आप थकते हो।
कुछ लोग तो रात भर मोबाइल में बात करते हैं और उन्हें पता ही नहीं चलता कि 10:00 बजे बाद शुरू हुई और कब सुबह के 4:00 बज गए। उसके बाद भी लोग प्राउड फील करते हैं। कि हां आज हमने 5 घंटे बातें की।
लेकिन अगर आपको 5 घंटे की जगह सिर्फ 1 घंटे मन लगाकर पढ़ने को बोल दिया जाए, तो आपको नींद लगने लगती है पढ़ने का मन नहीं करता।


Aakhir aisa kyon hota hai?

एक तरफ आप 5 घंटे बिना थके, रुके बात कर रहे हो। और दूसरी तरफ आप एक घंटा भी नहीं पढ़ पा रहे हो ‌।
ऐसा क्यों हो रहा है?
मित्रों मैं आपको ये नहीं बताऊंगा कि क्या सही है क्या गलत है?
हर किसी को अपना सही गलत का पता होता है।
लेकिन सब कुछ जान कर भी आप जरूरी कामों को नहीं कर रहे हो तो यह आपकी गलती हैं।

Jaruri kaamo ko kyun nahin kar rahe ho?

इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि इस काम को करने का, पढ़ने का मन नहीं कर रहा है। सिर्फ मौज मस्ती करने का मन कर रहा है।

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एक उदाहरण से समझें- 

एक शराबी दिन भर शराब पी रहा है। क्योंकि उसका मन कर रहा है उसके पैसे हैं। लेकिन पता उसे भी है कि शराब पीना शरीर के लिए हानिकारक होता है। लेकिन फिर भी पी रहा है।
अगर यह शराबी अपने मन के हिसाब से चलेगा तो इसकी कुछ ही दिनों में मौत हो जाएगी।
तो इस उदाहरण से हमें यह पता चलता है कि-सारी समस्या का जड़ भटकता मन ही है।

मान लो भगवान ने आपको करोड़ों की गाड़ी दी है आप उस गाड़ी के मालिक हो आप जानते हो कि गाड़ी को कैसे ठीक से चलाया जाता है।
लेकिन फिर भी इस गाड़ी को आपका ड्राइवर चला रहा है। और आप पीछे बैठे हुए हो। आपका ड्राइवर आपकी गाड़ी को इधर-उधर ले जा रहे हैं
आप ड्राइवर से कहते हो की गाड़ी को ठीक से चलाएं। तो ड्राइवर आपको कहता है कि तू आराम से चुपचाप बैठ मैं अपने हिसाब से गाड़ी चला लूंगा।
इस सिचुएशन अगर आप अपने ड्राइवर की बातों को सुनेंगे उसके हिसाब से चलेंगे तो एक न एक दिन वो ड्राइवर आपकी गाड़ी तबाह कर देगा।
ऐसे ड्राइवर की हाथ से गाड़ी छीन लो और उसे कहो मैं अपनी गाड़ी अपने हिसाब से चला लूंगा।
इस उदाहरण में गाड़ी है आपकी- लाइफ
और ड्राइवर है आपका-मन।
जो हमेशा भटकता रहता है।
अगर आप अपने मन को खुश करने के लिए अपने भटकते मन की बात मानते चले जाओगे तो 1 दिन गाड़ी की तरह आप भी बर्बाद हो जाओगे।

मित्रों मुझे जब भी कोई डिसीजन लेना होता है। तो मैं अपने मन के हिसाब से डिसीजन नहीं लेता बल्कि में अपनी डिसीजन इस बेस पर लेता हूं कि इस वक्त मेरे लिए सबसे जरूरी काम क्या है। जिससे मैं आगे बढ़ सकूं।
मुझे जो भी काम जरूरी लगता है। मैं उसे हर हाल में करता हूं क्योंकि मन के हिसाब से चल कर जरूरी कामों को डालने का कोई फायदा नहीं है।

अधिकतर लोग अपने मन के गुलाम बन कर रह जाते हैं। वे सिर्फ अपने मन के हिसाब से काम करते हैं मन के हिसाब से चलते हैं। उनका जो मन करता है वे वही करते हैं।
लेकिन दूसरी तरफ महान लोग अपने मन को अपना गुलाम बना लेते हैं। और अपने मुताबिक़ अपने मन से काम करवाते हैं।
इसलिए आप भी मन के मुताबिक मत चलिए और जरूरी कामो को बिल्कुल मत डालिए। उन्हें हर हाल में पूरा ज्ञकीजिए।
ये कीमती जीवन आप फालतू की चीजों में बर्बाद मत कीजिए, अपने सपनों की तरफ चलिए, पढ़ाई कीजिए, काम कीजिए और हमेशा आगे बढ़ते रहिए।

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धन्यवाद....!
Written by Sameer Ansari