हेलो दोस्तों कैसे हो आप सब मेरा नाम है समीर और आप पढ़ना शुरू कर चुके हो मेरी कहानी-samstorieshindi

   (गुरु का अपने शिष्य को सबक)
The Guru lesson
गुरु का सबक

एक बार एक गुरु ने बड़े मन से, बड़े लगन से, बड़ी मेहनत से कथा वाचन में अपना एक शिष्य तैयार किया।
जब उसकी शिक्षा पूर्ण हो गई, तो गुरू ने अपने शिष्य से कहा कि अब जाओ बेटा।
जो मैंने तुम्हें सिखाया है उसकी मदद से लोगों का कल्याण करो, आम लोगों को, गरीब लोगों को, कमजोर लोगों को कथा सुनाओ और उनकी जिंदगी को अच्छा बनाओ।
शिष्य अपने गुरु से आज्ञा लेकर के चला जाता है।

लेकिन इससे पहले कि वह आवाम को कथा सुनाता था।
उसकी मुलाकात एक सेठ से हो गई।
सेठ ने जब ये देखा कि लड़का बहुत अच्छा कथावाचक है। सेठ ने उसे अपना प्रस्ताव दिया।
बजाएं लोगों को कथा सुनाने की, बजाय आम लोगों को कथा सुनाने की, तुम मुझे कथा सुनाओ।
अकेले!
और मैं तुम्हें बदले में हर दिन खूब सारा दौलत दूंगा।
शिष्य उसकी बातें सुनकर लालच में आ गया। और उसने अकेले में सेठ को कथा सुनाना कबूल कर लिया।
जब वह लड़का सेठ को कथा सुनाने लगा।
तो कुछ समय बाद अकेले में कथा सुनाने वाली बात उसके गुरु को पता चली।
गुरु उसके पास है, लड़के ने गुरु को देखा तो गुरु के चरण स्पर्श किए।
गुरु ने उससे कहा कि बेटा मैं यहां इसलिए आया हूं कि मुझे याद आया कि मैंने तुम्हें सब कुछ सिखाया।
लेकिन एक कथा तो मैंने तुम्हें सुनाई ही नहीं।
इसलिए अभी तुम्हारा ज्ञान अपूर्ण है।
वह एक कथा मैं तुम्हें सुना दूं तो तुम्हारा ज्ञान पूर्ण हो जाएगा। गुरु ने शिष्य से कहा।

शिष्य ने खुशी जताई। और उसने कहा की गुरुदेव मुझे जल्दी बताओ कि कौन सा ज्ञान है जो मुझसे छूट गया है वह कौन सी कथा है जो आप मुझे सुनाना भूल गए।
तो गुरुदेव ने कथा सुनाई की एक बार एक गुरु ने जो कि कथावाचक थे। उन्होंने अपना एक शिष्य तैयार किया और जब शिष्य तैयार हो गया तो उससे कहा कि जाओ अब जगत का कल्याण करो।
वह शिष्य कथा सुनाने के लिए एक नदी पार करके एक गांव में जाता था आम लोगों को कथा सुनाने।
उस शिष्य का हर रोज का यही कर्म था।
तो 1 दिन नदी में एक घड़ियाल निकला।
उस घड़ियाल ने उस कथावाचक शिष्य से कहा कि तुम ये लोगों के पास जाते हो कथा सुनाने।
बदले में तुम्हें कुछ नहीं मिलता।
तो आज से तुम मुझे कथा क्यों नहीं सुनाते। मैं तुम्हें हर दिन हीरे मोती रतन और भी बहुत सी चीजें दूंगा।
अब वो शिष्य कथावाचक लालच में पड़ गया और घड़ियाल को कथा सुनाने लगा।
घड़ियाल उसे हर दिन कथा के बदले में कुछ रतन देता था।
जब यह बात उस कथा बालक के गुरु को पता चली। तो गुरु आएं उन्होंने अपने शिष्य को कहा"कि बेटा जब घड़ियाल को ही कथा सुनानी थी। तो इस सारे ज्ञान का फायदा ही क्या?
ऐसा ज्ञान जो जनहित में ना हो, जो आवाम के काम ना आए, जो समाज को ना बनाएं।
उस ज्ञान का फायदा ही क्या?
अब इस गुरु ने अपने शिष्य को यह कथा सुनाई तो वह शिष्य पूरा माजरा समझ गया।
शिष्य ने फोरन अपने गुरु के पैरों पर गिर कर माफी मांगी।
ओर अपने गुरु से कहां"मैं गुरुदेव सब समझ गया हूं।
अब मैं सेठों को कथा नहीं सुनाऊंगा
अब से में आम लोगों को ही कथा सुनाऊंगा।
और अपने कथा का उसी तरह इस्तेमाल करूंगा। जिस तरह आप चाहते हैं।
 

Also read:-
बाज की प्रेरणादायक कहानी
बुद्धिमान लोगों की निशानी!

Story by thelallantop
लेखन By Sameer Ansari
INSTAGRAM