क्या हुआ जब एक नेत्रहीन बच्चे का जन्म होता है?
हेलो दोस्तों कैसे हो आप सब मेरा नाम है समीर और
आप पढ़ना शुरू कर चुके हो मेरी कहानी- samstorieshindi
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Success story of Srikanth Bolla
जब एक बच्चे का जन्म आंध्र प्रदेश के सीतापुर गांव में हुआ। जब इसका जन्म हुआ तो घर में खुशियों की जगह गम का माहौल था।
गम का माहौल इसलिए था। क्योंकि यह बच्चा जन्म से ही नेत्रहीन था।
नेत्रहीन होने की वजह से इसको बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
बच्चे के ही गांव वालों ने बच्चे के पिता को यह तक कह दिया कि यह बच्चा किसी भी काम का नहीं इसे तो जीने का कोई भी हक नहीं है। नहीं तो यह लड़का आगे चलकर तुम्हारा सहारा बनने की जगह तुम पर बोझ बन जाएगा।
लेकिन मां-बाप तो मां-बाप ही होते हैं।उन्होंने लोगों की बातों की तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया। और उनकी बिल्कुल भी नहीं सुनी।
ये देख कर गांव वालों ने अपनी नाराजगी जताई और उनसे बात करना छोड़ दिया।
माता-पिता ने अपने बच्चे की परवरिश शुरू कर दी। पूरा परिवार खेती पर निर्भर था। जिससे उनके घर की आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं थी।
आर्थिक स्थिति अच्छी न होने की वजह से वह कर्ज के तले दबे हुए थे।
इसी दौरान इस बच्चे को पास के एक सरकारी स्कूल में पढ़ने के लिए भेजा गया।
लेकिन नेत्रहीन होने की वजह से वह बाकी बच्चों के साथ पढ़ाई नहीं कर पाता था।
और वह स्कूल की किसी भी Function या Activity में हिस्सा नहीं ले पाता था।
ओर तो ओर उसके साथी और अन्य लोग उसे हीन की भावना से देखते थे।
कुछ समय बाद बच्चे के पिता बच्चे को खेत ले जाने लगे लेकिन वहां भी ये बच्चा उनकी कोई भी मदद नहीं कर पाता था।
बच्चे को पढ़ने का बहुत शौक था। और इसके पिता भी जानते थे कि इससे पढ़ने का बहुत शौक है।इसलिए पिता ने इसे शहर के एक नेत्रहीन बच्चों के स्कूल में दाखिला करवा दिया।
जहां पर इस नेत्रहीन बच्चे ने खूब मेहनत की और वहां का टॉपर रहा।
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एक बच्चे का जन्म
इस बच्चे को चैस खेलने का भी बहुत शौक था।
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इस बच्चे को चैस खेलने का भी बहुत शौक था।
इन्होंने दसवीं की परीक्षा में 90% लाने के बाद अपने शहर और गांव का नाम रोशन किया।
ये विज्ञान विषय लेना चाहते थे। लेकिन नेत्रहीन होने की वजह से काफी मुश्किल से ही इन्हें विज्ञान विषय मिल पाया।
इसके बाद इस बच्चे ने 12वीं की परीक्षा में 98% लाकर सबको हैरान कर दिया।
इसके बाद इन्होंने IIT की परीक्षा के लिए अप्लाई किया।लेकिन नेत्रहीन होने की वजह से भारत के किसी अच्छे कॉलेज में एडमिशन नहीं मिल पाया लेकिन जब इस लड़के ने अमेरिका में एडमिशन के लिए अप्लाई किया तो अमेरिका के एक बड़े कॉलेज में इन्हें एडमिशन मिला और वहीं से इन्होंने अपना ग्रेजुएशन पूरा किया।
इनकी बुद्धिमानी को देखते हुए अमेरिका ने इन्हें लाखों की नौकरी ऑफर की। लेकिन इन्होंने वे नौकरी ठुकरा दी और ये वापस भारत आ गए।
भारत आकर इन्होंने अपने जैसे दिव्यांगों की मदद करने में लग गए।
इन्होंने शारीरिक रूप से कमजोर लोगों को प्रोत्साहित करने का काम शुरू किया ताकि उन लोगों को भी समाज में एक सम्मानजनक स्थान, पद दिलवाया जा सके।
उनकी जरूरत को पूरा करने के लिए इन्होंने bollant industries नाम की एक कंपनी खोली।
जहां दिव्यांगों को नौकरी दी जाती और अपने बलबूते पर जीना सिखाया जाता था।
आज इनकी कंपनी का टर्नओवर सालाना 50 करोड़ तक का है। जिसने इस कंपनी को खड़ी की उस व्यक्ति का नाम Srikanth Bolla!
जिस बच्चे को लोगों ने कहा कि इसे जीने का कोई हक नहीं है। वही बच्चा आज हजारों लोगों को जीने का रास्ता दिखा रहा है।
इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि"फर्क नहीं पड़ता कि आप किस परिस्थिति में हो या आपके पास क्या नहीं है। आपका कोई साथ दे रहा है या नहीं दे रहा है इस से कोई मतलब नहीं है।
अगर आप में कुछ कर दिखाने का जज्बा है, हिम्मत है
तो यकीन मानो आप खराब से खराब परिस्थितियों में भी वह कर सकते हो जिसके बारे में लोग सोच भी नहीं सकते हैं।
इसलिए खराब से खराब परिस्थितियों में भी आगे झुकने की बजाय आगे बढ़ने की हिम्मत रखिए।
यह एक सच्ची घटना हमें बताती है। कि हम अपने जीवन में छोटी-छोटी समस्याओं को लेकर दुखी होते रहते हैं और दूसरी तरफ srikanth bolla जी जैसे लोग भी अपने जीवन में इतना कुछ सहने के बाद भी हार नहीं मानते जीवन से परेशानियों से लड़ते लड़ते 1 दिन सफल हो ही जाते हैं।
अगर आप भी Srikant bolla जी की तरह कभी भी हार नहीं मानोगे तो आप भी एक न एक दिन Srikanth Bolla जी की तरह सफल हो ही जाओगे।
बस अपने आप पर भरोसा रखिए और परिस्थितियों से लड़ते रहिए यकीन मानिए अंत में आपकी जीत निश्चित होगी।
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धन्यवाद....!
Written by Sameer Ansari
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