हेलो दोस्तों कैसे हो आप सब मेरा नाम है समीर और आप पढ़ना शुरू कर चुके हो मेरी कहानी-samstorieshindi
Tum hamen kya doge story by Manoj Muntashir
Manoj Muntashir poem |
मजदूर हैं हम और मानते हैं कि तुमसे थोड़ा अलग है
तुम्हारे जिसम लहू और हड्डियों से बने हैं
हमारे सीमेंट और गिट्टियों से।
तुम मां की कोख से जन्म लेते हो, हम कारखाने की भटियों से।
हम खदानों का कोयला है, तुम तिजोरी का सोना।
तुम्हें पूरी दुनिया चाहिए, हमें सिर्फ एक कोना।
बहुत मुश्किल है तुम्हारा और हमारा एक जैसा होना
ये बराबरी का दौर है।
यहां किसी को छोटा कहते अच्छा नहीं लगता।
पर तुम्हें कहे भी तो क्या कहे।
तुम बेचारे महंगे मरतबानो के मारे, अपनी प्यास के लिए मिट्टी के प्याले नहीं कमा पाए।
जिंदगी भर दौड़ते रहे, और हमारी तरह पैरों के छाले नहीं कमा पाएं।
स्क्वायर फिट के बाशिंदों, कवि जमीन बिछा के सोए हो क्या?
ब्रेकिस्ट पे आंसू बहाने वालों, कभी भारत मिलाप देख के रोए हो क्या।
तुम्हारे जख्म मलहमों के मोहताज है, और हमें चोट लग जाए तो धूप के फरिश्ते आके अपनी उंगलियों से शेक देते हैं।
तुम्हारे पास दुखों के वो हीरे कहां, जो हमारे बच्चे खेल के फेंक देते हैं।
तुम जुगनूवो के जागीरदार, हम तड़कता हुआ आफीताब है।
तुम सिर्फ जिंदाबाद हो, हम ही इंकलाब हैं।
यानी तुम बहुत मामूली हो हम ही नायाब है।
इसलिए आज हम अपनी गलती कबूल करते हैं, हमने मांगने वाले से पहले देने वाली का बौनापन नहीं देखा।
हमारी मेहनतों के कड़ तुम्हारी इमारतों से बड़ा है।
तुम हमें क्या दोगे?
तुम्हारी एक-एक ईट पर, हमारे पसीने का उद्धार चढ़ा है।
तुम हमें क्या दोगे?
21वी सदी में महाशक्ति बनने का तुम्हारा सपना, हमारे पैरों पर खड़ा है।
तुम हमें क्या दोगे?
हम देते हैं तुम्हें।
ये वचन, कि आज तुम्हें छोड़ के जा रहे हैं, पर वापस लौट के आएंगे।
तुम्हारी ये कयानत जो उजड़ गई है, इसे फिर बसाएंगे।
जिंदगी का मालूमबा देखकर आंसू मत बहाओ।
हम इस बार कहते हैं, तुम्हारे लिए एक नई दुनिया बनाएंगे।
Also read this story:-
Padhaai mein man kaise lagaen?
A story fact about a eigle
धन्यवाद..!
Story by Manoj Muntashir
जिंदगी भर दौड़ते रहे, और हमारी तरह पैरों के छाले नहीं कमा पाएं।
स्क्वायर फिट के बाशिंदों, कवि जमीन बिछा के सोए हो क्या?
ब्रेकिस्ट पे आंसू बहाने वालों, कभी भारत मिलाप देख के रोए हो क्या।
तुम्हारे जख्म मलहमों के मोहताज है, और हमें चोट लग जाए तो धूप के फरिश्ते आके अपनी उंगलियों से शेक देते हैं।
तुम्हारे पास दुखों के वो हीरे कहां, जो हमारे बच्चे खेल के फेंक देते हैं।
तुम जुगनूवो के जागीरदार, हम तड़कता हुआ आफीताब है।
तुम सिर्फ जिंदाबाद हो, हम ही इंकलाब हैं।
यानी तुम बहुत मामूली हो हम ही नायाब है।
इसलिए आज हम अपनी गलती कबूल करते हैं, हमने मांगने वाले से पहले देने वाली का बौनापन नहीं देखा।
हमारी मेहनतों के कड़ तुम्हारी इमारतों से बड़ा है।
तुम हमें क्या दोगे?
तुम्हारी एक-एक ईट पर, हमारे पसीने का उद्धार चढ़ा है।
तुम हमें क्या दोगे?
21वी सदी में महाशक्ति बनने का तुम्हारा सपना, हमारे पैरों पर खड़ा है।
तुम हमें क्या दोगे?
हम देते हैं तुम्हें।
ये वचन, कि आज तुम्हें छोड़ के जा रहे हैं, पर वापस लौट के आएंगे।
तुम्हारी ये कयानत जो उजड़ गई है, इसे फिर बसाएंगे।
जिंदगी का मालूमबा देखकर आंसू मत बहाओ।
हम इस बार कहते हैं, तुम्हारे लिए एक नई दुनिया बनाएंगे।
Also read this story:-
Padhaai mein man kaise lagaen?
A story fact about a eigle
धन्यवाद..!
Story by Manoj Muntashir
0 Comments
If you have any questions please comment.