हेलो दोस्तों कैसे हो आप सब मेरा नाम है समीर और आप पढ़ना शुरू कर चुके हो मेरी कहानी-samstorieshindi

       (हमारे प्यारे मजदूर)

लोक डाउन में निकले मजदूरों की कहानी
मजदूर का दर्द

मेहनत तो सभी करते हैं। लेकिन जो असली मेहनत करते है वहीं है हमारे प्यारे मजदूर।
यह वही मजदूर है। जिनके द्वारा बनाई गई सड़कों पर आज गाड़ियां चलती है ‌। जिस घर में आज हम सब रहते हैं। उस घर में ईंट-पत्थर के साथ इनका पसीना भी मिला होता है। आज जिसे हम कहते हैं प्रवासी मजदूर।
जो ये बड़ी-बड़ी कंपनियां चल रही है ना वह सिर्फ इनकी वजह से ही चल रही है।
आप इनके मेहनत का अंदाजा इनके पसीने को देखकर, हाथों पर पड़े छालों को देखकर लगा सकते हो।
मेहनत भी ये हमारे प्यारे मजदूर गजब का करते हैं ना अपनी रोजी रोटी चलाने के लिए।
लेकिन इतनी मेहनत करने के बाद भी आज इनको एक टाइम का खाना भी नसीब नहीं हो पा रहा है।
इन प्रवासी मजदूरों के साथ गलत तो बहुत पहले से ही होता रहा था।
लेकिन इस दौर में इनके साथ बहुत बुरा हो रहा है।
हमारे प्यारे मजदूर घर जाना चाहते हैं लेकिन जा नहीं  सकते।
अगर ये प्रवासी मजदूर पैदल भी अपने घर के लिए निकल रहे हैं तो उन्हें बीच रास्ते में ही रोक लिया जा रहा है।
अगर कोई इनसे पूछता है कि घर क्यों जाना चाहते हो?

तो पता है वह क्या कहते हैं?
भूखे मरने से तो अच्छा है कि चलते चलते मर जाए।
आज उनके साथ बहुत बुरा हो रहा है।
खाने को रोटी नहीं, जिस मकान में रहते थे वह मकान मालिक भी किराया मांग रहे हैं। 
अब उनको कौन बताए इनके पास खाने के पैसे है नहीं मकान का किराया कहां से देंगे?
हलवा थोड़ी है।

इनकी हालत इतनी खराब हो गई है कि खाना ना मिलने पर। जिनके लिए कमाते थे वहीं से पैसे मंगवा रहे हैं। खाने के लिए।
जिस जगह पर काम करते थे ना तो उस मालिक ने इनका साथ दिया। और ना ही हम सबके उस मालिक ने।

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पटरियों के रास्ते अपने घर के लिए रोज हजारों मजदूर रवाना हो रहे हैं।
लेकिन घर पहुंचने से पहले ही कहीं और पहुंच जा रहे हैं।
रास्तों पर चलते चलते ट्रक से कुचले जा रहे हैं।
उनकी तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है आज मर रहे हैं, फिर भी चल रहे हैं।
आगे बढ़ रहे हैं, पुलिस के डंडो से डर भी रहे हैं। लेकिन फिर भी घर जाने की आशा को कम नहीं कर रहे हैं। हमारी पुलिस मदद भी कर रही है लेकिन ये मजदूर
अपने दर्द को छुपाते छुपाते आगे बढ़ते जा रहे हैं। कोई मदद नहीं कर रहा है इनकी फिर भी हजारों किलोमीटर चलते जा रहे हैं। 
हजारों मीटर चलकर अपने गांव पहुंच तो जा रहे हैं। लेकिन गांव वाले उन्हें गांव में घुसने नहीं दे रहे हैं।

कोरोना से होने वाले फायदे?

हमारी  Government आज जो पैसे मजदूरों के मर जाने पर दे रही है।
अगर वही पैसे उन मजदूरों को अपने घर पर भेजने में और उनकी सुरक्षा में लगाती तो आज हमारे इन प्यारे मजदूरों के साथ ऐसा कतई ना होता।
वह भी आज खुश होते अपने परिवार के साथ।
हमारे प्यारे मजदूरों की हर रोज कोई ना कोई बुरी खबर सुनने को जरूर मिलती है। इससे बहुत दुख होता है हम सबको।
तो आप सब से Request है कि आप मजदूरों की अधिक से अधिक मदद करें।

धन्यवाद...!
Written by Sameer Ansari
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