कल एक दोस्त ने बताया कि उसके फोन पर एक अनजान नंबर से सिर्फ एक शब्द का मैसेज आया‌।।   

                       "खाना" 

   



बांद्रा में 8 लोगों का एक मजदूर परिवार था जिन्होंने पिछले 2 दिन में एक भी दाना नहीं खाया था।



उसका नंबर उन्हें लोगों को खाना पहुंचा रहे एक ग्रुप के पेज से मिला।
 बड़ों को तो मैंसेज करना भी नहीं आता था
आखिर घर के एक बच्चे ने लिखा सिर्फ एक शब्द

                "खाना"


कितना इंतजार किया होगा उन्होंने उससे पहले??
कोई इंसान किस हाल से गुजरता होगा
'जब वो अपने बच्चों से कहता है कि अब मैं तुम्हें खाना नहीं खिला सकता।

                       "अब मांगना है"

   " हम यूट्यूब से बड़े चीजें बनाना सीख रहे हैं और उसके पास पुराने अन्न का दाना तक नहीं।"



ये कैसी दुनिया बनाई है हमने जिसमे आदमी दस बारह साल की उम्र में हाड़तोड़ काम करना शुरू कर देता है और मरते दम तक करता जाता है।
पर इतना भी नहीं कमा  पाता कि 20 दिन का एक्स्ट्रा राशन खरीद पाए।




ये जो मदद हम इस वक़्त कर रहे हैं, ये मदद नहीं, दरअसल माफी के लिए जूड़े हाथ है।
 उनका हक है जिसे हमने जाने अनजाने में अपने घरों में भर लिया है।

"हमने नहीं तो हम जैसे किसी ओर ने।"





"कभी कभी मुझे लगता है कि हम सब एक ऐसी ट्रेन के डिब्बे में सफर कर रहे हैं।"

   

      "बाहर के खुबसूरत  जंगल देखते हुए,   सेल्फी लेते हुए ओर पोस्ट करते हुए"







"ओर पसीने से भीगे ये

          लोग उस ट्रेन के दरवाजों पर 

    लटक रहे हैं।।"

"हर मोड़ पर हम कुछ नया सा

              देखकर रोमांच से भर आते हैं, चिल्लाते हैं।"



"हर मोड़ पर उनमें से   गिर जाते हैं।"



"अखबार में जिसे हादसा बताते हैं,

  वे एक डिस्कफेक्शनल समाज के हाथों हुएं हत्याओ के निशान हैं।।"








Writeen  by  "Sameer"⇒