Jungle ka safar Hindi kahaniyan!

मैं अपने गांव आया हुआ था। मैं आपको बता दूं कि मैं बहुत ही कम गांव में रहता हूं। गांव में मैंने कुछ दोस्त बना लिए हैं। जो मुझे बहुत सी बातें बताते हैं जिससे मुझे बहुत कुछ सीखने को ही मिलता है।
जंगल का सामना
जंगल का सफर

एक दिन हम सब बैठे हुए थे तो मेरे एक दोस्त ने बताया कि हमारे गांव से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर एक जंगल है। जिसमें बहुत रसीले रसीले आम लगते हैं। यह बात सुनकर तो सभी के मुंह में पानी आ गया तो हम सबने एक प्लान बनाया कि हम सब वहां पर जाएंगे लेकिन रात को मीठे मीठे आम मुंह में पानी आ गया था।हम सब रात होने का इंतजार करने लगे जब रात हुई तो हम सब लाइट लेकर निकल पड़े रात के सफर में बहुत मजा आ रहा था। साथ में डर भी लग रहा था एक दोस्त ने बताया कि उस जंगल का नाम "यहां मत आना जंगल"है कहावत है कि जो भी उस जंगल में जाता है तो उससे यह आवाज आती है "यहां मत आना मैं तुम्हें खा जाऊंगी।"
लेकिन ऐसा कुछ नहीं होता उन्होंने बताया कि हम पहले भी यहां आ चुके हैं रात को।
सभी मस्ती मजाक करते हुए जंगल की तरफ बढ़ रहे थे।
अब कुछ ही दूरी पर वह जंगल था। हम सब जंगल में पहुंचने वाले ही थे।
मुझे डर लग रहा था तो मेरे एक दोस्त ने मेरा हौसला बढ़ाने के लिए कहा कि डरने की कोई बात नहीं है हम सब तेरे साथ हैं।
अब हम जंगल में पहुंच चुके थे।रात के लगभग 9:00 बज रहे थे अंधेरा इतना ज्यादा था। कि कुछ दिखाई ही नहीं दे रहा था।
जैसा मेरे दोस्तों ने बताया बिल्कुल वैसा ही हुआ।
जब हम जंगल के अंदर जा रहे थे तो डरावनी आवाजें आने लगी वही आवाजें "यहां मत आना मैं तुम्हें खा जाऊंगी।"
मुझे तो बहुत डर लग रहा था। मेरे दोस्तों ने बताया कि कुछ नहीं होगा। यह सब मन का भय है।
जब हम सब जंगल के अंदर जा पहुंचे तो सच में आम ही आम थे सभी पेड़ आम से भरे हुए थे। अब हम सब नीचे पड़े हुए आम को उठा रहे थे।
मैंने आम को पेड़ से तोड़ने का सोचा तभी मेरे दोस्तों ने बताया कि रात को पेड़ सो जाते हैं इसलिए रात को पेड़ के साथ कुछ नहीं करना।
हवा बहुत तेज चल रही थी। और आम गिर रहे थे आम के गिरने से पट पट की आवाज आ रही थी। आम बहुत अच्छे थे मैंने बहुत से आम इकट्ठे कर लिए थे पर मुझे और आम चाहिए थे। और आम के लिए जब मैंने टॉर्च जलाई तो अचानक से मेरे सामने कोई आया और गायब हो गया।
मैंने सोचा शायद मन का वहम होगा।
फिर मैंने पेड़ों की तरफ टॉर्च चलाई आमों को देखने के लिए तुम मैंने देखा कि कोई पेड़ पर बैठा हुआ था और आम को खा रहा था।
"टार्जन तो नहीं था।"
क्योंकि टार्जन तो कहानियों में ही अच्छे लगते हैं।
अब मुझे डर लगने लगा डर तो पहले भी लग रहा था पर अब डर की कोई सीमा नहीं थी। मैंने अपने दोस्तों के पास जाने का सोचा था कि अचानक से मेरे सामने कोई आया और हंसते-हंसते भाग गया।
कोई पागल होगा शायद मैंने सोचा।
मैंने सोच लिया था अगर जिंदगी रही तो बहुत आम खाएंगे। लेकिन अभी यहां से निकलना जरूरी है।
मैं अपने दोस्तों के पास भागकर जाने लगा। लेकिन मैंने देखा कि मैं अपने दोस्तों के जितने पास जा रहा था वह उतने मुझसे दूर होते जा रहे थे। मैं तो पूरी तरह डर गया।
तभी अचानक जोर जोर से आवाज आने लगी"यहां मत आना,"यहां मत आना।"
यहां मत आना अब से कभी भी नहीं तो मैं तुम्हें खा जाऊंगी हीहीहीही करके हंसने लगी।
मैंने भी रोते हुए कह दिया "मैं अब से यहां कभी नहीं आऊंगा बस मेरी जान बख्श दो और मुझे जाने दो"
जब आवाज आना बंद हो गया तो मैं तेजी से रास्ते की तरफ भागने लगा।
जब मैं रास्ते पर पहुंचा तो मेरे दोस्त पहले से ही वहां खड़े थे। उन्होंने कहा"कि तू कहां चला गया था।"हमने तुझे कितना खोजा लेकिन तू मिला ही नहीं।
फिर मैंने उन्हें सारी सच्चाई बताई।
फिर मैंने कहा "भाई! मुझे नहीं खाने है कोई आम
कृपया करके आप मुझे ले चलो अपने गांव।"

                THE END!


Written by Sameer Ansari
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